राई के नाम से ही तड़के के याद आ जाती है। इसे सरसों के दाने भी कहा जाता है। राई दो रंगो की होती है एक पीली और दूसरी ब्राउन।
अधिकतर घरों में तड़के के लिए ब्राउन रंग की राई का उपयोग किया जाता है। सांभर के साथ दाल में भी इसका तड़का लगाया जा सकता है।
राई के सेवन से कफ-पित्त दोष शांत होने के साथ शरीर की कई समस्याएं आसानी से दूर होती है। राई में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे फाइबर, आयरन, फास्फोरस और प्रोटीन पाया जाता हैं।
इसके सेवन से पाचन-तंत्र से जुड़ी समस्याएं कम होने के साथ माइग्रेन की समस्या से भी राहत मिलती है। राई के इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं और शरीर लंबे समय तक हेल्दी रहता है।
राई के बीजों के सेवन से अस्थमा के मरीजों को राहत मिलती है। इसमें साइनपाइन नामक तत्व पाया जाता है, जो लंग्स की कार्यक्षमता को बढ़ाकर उनको हेल्दी रखता है। राई के दानों के नियमित सेवन से अस्थमा को रोकने में मदद मिलती है।
राई के दानों के सेवन से माइग्रेन के दर्द को दूर करने में मदद मिलती है। राई के दानों में राइबोफ्लेविनन नामक तत्व पाया जाता है, जो माइग्रेन के खतरे को कम करता है।
अगर आप भी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो डाइट में सरसों के बीजों को अवश्य शामिल करें। सरसों के बीज में मेथनॉल अर्क पाया जाता है, जो रक्तचाप को कम करने के साथ शरीर को स्वस्थ रखता है।
राई के दानों के सेवन से वजन कम करने में मदद मिलती है। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म तेज होने के साथ वजन घटाने में मदद मिलती है।
राई के दानों के सेवन से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद एंटीडायबिटिक गुण ब्लड शुगर लेवल को कम करने के साथ शरीर को स्वस्थ रखते हैं।
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