एक भिखारी लड़का कैसे बना 50 करोड़ की कंपनी का मालिक – Inspirational stories of success

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दोस्तों अगर आप भी Inspirational stories of success जैसी कहानियों के दीवाने हैं तो आज आपके लिए एक बहुत ही ज्यादा motivational success story लेकर आए जिसे पढ़ने के बाद आपके मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा होगी तो चलिए अब शुरू करते हैं आज की कहानी को.
आखिर कौन सोच सकता था कि बचपन में घर घर जाकर अनाज मांगने वाला लड़का जो दसवीं कक्षा में फेल हो गया था जिसके पास खुद ₹1 नहीं था वह आज 50 करोड़ की कंपनी का मालिक है और उनकी कंपनी की वजह से हजारों लोगों के घर का चूल्हा जलता है। घनघोर गरीबी से निकलकर आज करोड़ों का साम्राज्य स्थापित करने वाले इस शख्स की जिंदगी की कहानी आज की पीढ़ी के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगी.
हम बात कर रहे हैं 50 वर्षीय रेणुका आराध्य (Renuka Aaradhya life story) की जो बेंगलुरु के नजदीक Gopasandra गांव से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिताजी राज्य सरकार द्वारा आवंटित एक मंदिर केे पुजारी थे, हालांकि उन्हें इसके लिए कोई मदद नहींं मिलती थी। पूजा केे बाद वह और उसके पिताजी गांव-गांव घूमकर चावल आटा और दाल मांगा करते थे. फिर उस मिले हुए राशन को पास के एक बाजार में बेचा जाता और मिली रकम से पूरे घर का गुजारा मुश्किल से चलता।
कक्षा 6 की पढ़ाई के बाद उनके पिता ने उन्हें घरों में नौकर के काम में लगा दिया जहां पर वह लोगों के घरों में झाड़ू पोछा और बर्तन धोने का काम करते थे इसके बाद उनके पिता ने उन्हें एक बुजुर्ग चर्म रोगी व्यक्ति के घर पर उसकी सेवा सत्कार में लगा दिया जहां वह उस बुजुर्ग को नहलाने और धूलाने का काम करते साथ ही उसके शरीर पर मरहम लगाते थे. इसी बीच उनके पिता का देहांत हो गया सारी पारिवारिक जिम्मेदारियां अब उन पर ही आ गई, पढ़ाई लिखाई के लिए समय ना मिलने की वजह से वह दसवीं में फेल हो गए, उसके बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी और रुपया पैसा कमाने के चक्कर में वह ऐड लैब में स्लीपर भी रहे और कई अलग-अलग जगह पर मजदूरी भी करी।
उस समय वह बुरी संगत में फंस गए जहां रोज शराब पीना और जुआ खेलना उनकी आदत बन गई थी लेकिन उन्होंने किसी तरह यह सब छोड़ कर शादी करने का फैसला किया. 20 साल की उम्र में उन्होंने शादी करी शादी के कुछ समय बाद ही उनकी पत्नी को भी मजबूरन किसी कंपनी में हेल्पर का काम करना पड़ा। जिंदगी के इस मुसीबतों भरी राहों में उन्हें न जाने कैसे-कैसे काम करने पड़े जैसे प्लास्टिक बनाने के कारखाने में, और श्यामसुंदर ट्रेंडिंग कंपनी में एक मजदूर की हैसियत से सिर्फ ₹600 के लिए एक सिक्योरिटी गार्ड के रूप में और सिर्फ ₹15 प्रति पेड़ के लिए नारियल के पेड़ पर चढ़ने वाले एक मालि के रूप में.
लेकिन उनके कुछ बेहतर कर गुजरने की ललक ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा और इसलिए उन्होंने कई बार खुद का काम करने का भी सोचा और किसी तरह ₹30000 जोड़े और बैग फ्रिज और सूट केश के कवर बेचने का काम शुरू किया. उनकी पत्नी सिलाई करती और वे बाजार जा कर सामान बेचते लेकिन उनका यह काम नहीं चल पाया और सारा पैसा डूब गया, वह कहते हैं ना जब तक असफलता के कांटे पैरों में नहीं चूभते तब तक सफलता के फूल खिल ही नहीं सकते। इसलिए व्यक्ति असफल होने पर नहीं हारता बल्कि हारता तो तब है जब वह सफलता को प्राप्त करने के लिए प्रयास करने ही बंद कर देता है।
अधिकांश लोग असफल होने पर स्वयं को निराशावादी बना लेते हैं लेकिन जो व्यक्ति अंधेरे रास्ते में भी स्वयं दीपक बनकर अपनी राह तलाश लेता है वास्तव में वही इंसान सफल और कर्मठ है। रेणुका के जीवन ने तब जाकर करवट ली जब उन्होंने सब कुछ छोड़कर एक ड्राइवर बनने का फैसला किया लेकिन उनके पास ड्राइवरी सीखने के भी पैसे नहीं थे। अपनी शादी की अंगूठी गिरवी रख कर उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया, उसके बाद उन्हें ड्राइवर का काम मिला लेकिन किस्मत खराब होने की वजह से उनके हाथों से एक एक्सीडेंट हुआ और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया.
इसके बाद उन्होंने हॉस्पिटल में डेड बॉडी के ट्रांसपोर्टेशन का काम 4 साल तक किया लेकिन पैसे कम मिलने की वजह से उन्होंने दूसरी कंपनी में काम करने का सोचा जहां विदेशी पर्यटकों को टूर पर ले जाना होता, विदेशी पर्यटक इन्हें डॉलर में टिप भी देते थे रेणुका इन पैसों को जमा करने लगे और इन्हीं जमा पैसों और पत्नी के PF से 2001 में एक पुरानी इंडिका कार खरीदी और फिर उसकी कमाई से डेढ़ साल के भीतर ही फिर दूसरी गाड़ी खरीद ली. धीरे-धीरे 2006 तक उनके पास 5 गाड़ियां हो चुकी थी और खुद की City Safari नाम से एक कंपनी भी शुरू कर ली, लेकिन कुछ बड़ा करने की चाहत अभी पूरी कहां हुई थी कहते हैं ना कि किस्मत भी हिम्मत वालों का ही साथ देती है।
ऐसा ही कुछ रेणुका के साथ हुआ जब उन्हें यह पता चला कि इंडियन सिटी टैक्सी नाम की एक कंपनी बिकने वाली है तो साल 2006 में उन्होंने उस कंपनी को 6.5 लाख रुपए में खरीद लिया जिसके लिए उन्हें अपनी कई कारें बेचनी पड़ी थी, उन्होंने अपनी जिंदगी में यह सबसे बड़ा जोखिम उठाया था जो आज उन्हें कहां से कहां ले आया, उसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी का नाम Pravasi Cabs Pvt.Ltd रखा जिसकी आज एक अलग ही पहचान है।
साल 2018 तक उन्होंने अपनी कंपनी को चेन्नई और हैदराबाद जैसी बड़े शहरों तक पहुंचाया जहां उनकी लगभग 1300 cabs चलती थी मार्केट में OLA और Uber जैसी कंपनियां आने के बाद भी उनके कारोबार पर ज्यादा असर नहीं पड़ा क्योंकि उनके अधिकतर नियमित ग्राहक है जो कि उनकी सुविधा से संतुष्ट है। दोस्तों मेहनत और संघर्ष के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है कभी घर-घर भीख मांगने वाला बच्चा अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर 500 करोड़ की संपत्ति का मालिक और जो खुद 23 लाख की गाड़ी से चलता है।
संसार के दो मार्ग हैं एक में जीत है तो दूसरे में हार, एक में खुशी है तो दूसरे में दुख ऐसे ही जीवन भी दो बातों पर आधारित है सफलता और असफलता, यदि आप किसी सफल इंसान की सफलता का राज देखेंगे, तो आप उसके इतिहास को उठा कर देख ले इतिहास गवाह होगा कि वह व्यक्ति सफल होने के लिए कई बार असफलता की राहों से गुजरा होगा. जीवन में सफलता घबराकर, डरकर, भाग कर या फिर किसी दूसरे के द्वारा नहीं पाई जा सकती है, सफलता तो आपके मजबूत इरादों, आपके साहस और अपने आप के ऊपर विश्वास करके ही पाई जा सकती है।
तो दोस्तों आपको आज की यह motivational success story कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताइए और आपको आगे भी अगर ऐसी ही Inspirational stories of success जैसी कहानियां जाननी है तो आप हमारे साथ बने रहिए हमारी इस साइट पर रोजाना एक नई नई motivational success story बताई जाती है जो कि आप को पढ़कर बहुत ज्यादा अच्छा लगेगा इसलिए हमारे साथ बने रहिए धन्यवाद।

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