Amul success story साइंस से पढ़ाई मैकेनिकल से BE और अमेरिका से मास्टर ऑफ साइंस जैसी डिग्री लेने के बाद यदि कोई डेयरी प्रोडक्ट पर काम करता नजर आए तो थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन कहते हैं ना दोस्तों की अगर इंसान एक अच्छी सोच के साथ आगे बढ़े तो वह छोटे से छोटे काम करके भी सफल हो सकता है और इसी बात को साबित किया है Verghese Kurien ने, जिन्हें अमूल कंपनी का फाउंडर माना जाता है.
दोस्तों दरअसल Amul कंपनी की शुरुआत गुजरात के छोटे-छोटे गांव के गरीब दूध उत्पादकों को उनका हक दिलवाने के लिए किया गया था और यह बात है करीब 1946 की जब भारत भी अंग्रेजों का गुलाम था और उस टाइम गांव के गरीब किसानों को दूध मजबूरन दलालों को बेचना पड़ता था जो कि उनकी मेहनत का एक बड़ा हिस्सा बिचौलियों के तौर पर खा जाते थे लेकिन इसके अलावा भी गरीब किसानों के पास कोई ऑप्शन नहीं था क्योंकि कुछ ही गीनी चुनी डेयरी कंपनियों ने पूरे देश पर अपना कब्जा जमा रखा था.
गांव के गरीब उत्पादकों को उनका अधिकार दिलवाने के लिए त्रिभुवन दास ने सरदार वल्लभभाई पटेल और मर्चाई देसाई के साथ Amul कंपनी की शुरुआत करी जिसका रजिस्ट्रेशन 14 दिसंबर 1946 को एक कॉपरेटिव कंपनी के तौर पर किया गया दोस्तों को काँपरेटिव कंपनी ऐसी कंपनी होती है जिससे कि बहुत सारे लोगों ने मिलकर एक साथ बनाया होता है। आगे चलकर त्रिभुवनदास के कहने पर 1949 में Verghese Kurien ने इस कंपनी को ज्वाइन कर लिया जिन्होंने 1948 में अमेरिका के मिशन स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री ली थी। देखिए दोस्तों Verghese Kurien अगर चाहते तो वह एक अच्छी खासी नौकरी करके भी ऐसो आराम की जिंदगी जी सकते थे.
लेकिन इसकी बजाय उन्होंने देश के किसानों की सहायता करना पसंद किया और फिर कंपनी ज्वाइन करने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह आई कि Polson Dairy ने पूरे देश पर अपना कब्जा जमा रखा था जो कि उस समय Polson Dairy ही एकमात्र सबसे बड़ी कंपनी थी इसलिए गरीब किसानों को बिचौलियों के माध्यम से मजबूरन उसी कंपनी को दूध बेचना पड़ता था और वह भी बहुत कम दामों पर लेकिन तभी गरीब किसानों को उनके हक को याद दिलाते हुए लोगों को समझाया बुझाया गया की Polson Dairy को दूध ना बेचे और अपनी इस कोऑपरेटिव कंपनी को ज्वाइन करें ताकि बिचौलियों से बचा जा सके और दूध के सही दाम मिल सके.
धीरे-धीरे गरीब किसानों को Amul कंपनी का यह मॉडल समझ में आने लगा और इस तरह से बहुत सारे दुग्ध उत्पादक किसान कंपनी के साथ जुड़ने शुरू हो गए और दोस्तों कहते हैं ना कि जहां एकता है वहां जीत है। Amul कंपनी के दूध धीरे धीरे पूरे देश में पहुंचने शुरू हो गए और फिर Verghese Kurien ने कम से कम लागत में किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो सके ऐसा मॉडल तैयार किया उन्होंने दूध की क्वालिटी को चेक करने के लिए और लोगों को सुविधा हो सके इसलिए इस प्रक्रिया को कई भागों में बांट लिया। इसके लिए गांव-गांव में एक यूनियन बनाया गया और वहां पर प्लांट की भी स्थापना करी गई.
गांव से दूध की क्वालिटी चेक करने के बाद उसे आगे जिलों में भेज दिया जाता था और फिर वहां भी जांच के बाद उसे राज्य स्तर पर भेज दिया जाता जहां पर इसकी पैकिंग होती थी और कुछ इसी प्रक्रिया के जरिए दूध लोगों के घरों तक पहुंचते थे जल्द ही Verghese Kurien की मेहनत और लगन रंग लाने लगी और अमूल कंपनी एक के बाद एक बड़ी बड़ी सफलता हासिल करने लगी लेकिन इस कंपनी की सफलता में एक बड़ा योगदान मिल्क पाउडर का भी था। जिससे कि भैंस के दूध से Amul ने पहली बार बनाया था दरअसल वैज्ञानिकों का मानना था कि भैंस के दूध का मिल्क पाउडर नहीं बनाया जा सकता लेकिन Verghese Kurien ने सभी को गलत साबित किया और भैंस के दूध के साथ रिसर्च करते हुए एक नई खोज करी.
आगे भी अमूल कंपनी ने बहुत सारी ऊंचाइयों को छुआ और आज के समय में Amul दूध और मिल्क पाउडर के अलावा भी घी, पनीर आइसक्रीम और मक्खन जैसी बहुत सारी चीजें बनाता है पर अब आज के समय की बात करें तो Amul के साथ करीब 32 लाख लोग जुड़े हुए हैं जो कि रोजाना दूध की सप्लाई करते हैं और Verghese Kurien के इस कंट्रीब्यूशन के लिए उन्हें पदम विभूषण, कृषि रतन और पदम श्री जैसे बहुत सारे सम्मान भी मिल चुके हैं और लोग उन्हें Milk Man of India के नाम से जानते हैं। हालांकि डॉक्टर Verghese Kurien ने अब इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके हैं.
9 सितंबर 2012 को गुजरात में उनकी मृत्यु हुई लेकिन दोस्तों ऐसे शख्स भले ही इस दुनिया में ना हो लेकिन उनके विचार और कर्म हमेशा जीवित रहेंगे आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आप इस पोस्ट के ऊपर कमेंट करके हमारा मनोबल बढ़ा सकते हैं ताकि आगे भी हम आपके लिए ऐसी ही कुछ Success story लेकर आते रहे धन्यवाद।
हम आपको जाते जाते कुछ Amul से जुड़े सवालों के जवाब दे जाते हैं जो कि लोग ज्यादातर Google पर सर्च करते रहते हैं।
अमूल कंपनी का मालिक कौन है ?
हमने आपको बताया कि उचित समय दुग्ध उत्पादकों की हालत बहुत खराब थी और उनसे कम दाम पर दूध खरीदा जाता था तो इसको सुधारने के लिए वर्गीज कुरियन (Verghese Kurien) दे इस Amul कंपनी की शुरुआत करी थी. आज लोग इन्हें “भारत का मिल्कमैन” भी कहते हैं।
Amul कंपनी की स्थापना कब की गई थी ?
अमूल कंपनी की स्थापना 14 दिसंबर 1946 को करी गई थी और इसकी स्थापना Verghese Kurien के द्वारा की गई थी.
Amul का पूरा नाम क्या है ?
अब्दुल का पूरा नाम आणंद सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ है।
Amul कंपनी कहां स्थित है ?
वैसे तो अमूल कंपनी की शुरुआत गुजरात में हुई थी लेकिन अब यह सभी शहरों में है.