Hindi Facts: क्या आप जानते हैं जब एक प्लेन बादलों के अंदर से जा रहा है और बिजली उसको छू कर चला गया तो क्या होगा? Lightning यानी बिजली मदर नेचर की सबसे बड़ी फोर्सेस में से एक है। इसे बिजली गिरना भी कहते हैं। Lightning strikes जो होता है ना वह सूरज की सतह से भी 6 गुना ज्यादा गर्म होता है और जब लाइटनिंग होता है तब ऊपर आसमान में कान फाड़ देने वाला sound पनपता है और जहां पर ऐसे लाइटनिंग create होता है उसके आसपास का हवा और बादल गर्म हो जाता है.
एकदम बिल्कुल विस्फोट की तरह तो क्या लाइटनिंग प्लेन को टच करने के बाद क्या प्लेन पूरा काला हो जाएगा ? या फिर प्लेन टूट जाएगा या प्लेन खराब हो जाएगा ? वास्तविकता यह है कि प्लेन के आसपास जब बिजली चमकती है तो इससे प्लेन को कोई फर्क नहीं पड़ता है बिजली प्लेन का कुछ भी नहीं उखाड़ पाती है आखिर कैसे ? पहली बात तो यह है कि Security Rules पायलट को अनुमति नहीं देते की वह उस प्लेन को उस जगह से ले जाए जहां पर बिजली चमक रही हो.
अगर उड़ते समय मौसम खराब भी हो जाए तो प्लेन अपना रास्ता बदल देता है कभी-कभी कई किलोमीटर में मूड़ना पड़ता है प्लेन को ताकि वह तूफान और बिजली वाले जगह में ना जाए। अगर प्लेन को कुछ नहीं होगा तो प्लेन का रास्ता क्यों बदला जाता है ? प्लेन का रास्ता इसलिए बदला जाता है क्योंकि बिना मतलब के कोई मुसीबत को क्यों मोल लेना है जब सवाल लोगों की जान का हो तो हम रिस्क नहीं ले सकते है. और दूसरी बात है Turbulence वहां के तेज तूफान में प्लेन बहुत हिलता है और यह अच्छी बात नहीं होती है।
प्लेन ज्यादा ना हिले और यात्रियों की जान सुरक्षित रहे इसीलिए ऐसी जगह से बचा जाता है। प्लेन का body एलुमिनियम का बना होता है लेकिन उसमें Coper Foil का लेयर भी होता है जो कि प्लेन को बिजली गिरने से बचाता है. प्लेन के अंदर के सिस्टम और cables में कोपर मैसेस भी होते है जो कि बिजली गिरने पर प्लेन को बचाता है। सूरज की सतह का तापमान 5,504°C है और बिजली का तापमान 29,726°C है। यानी इतना गुना ज्यादा और जब यह प्लेन पर गिरता है तब भी प्लेन को कुछ नहीं होता है इससे यह पता चलता है कि हमारी इस दुनिया में टेक्नोलॉजी कितनी आगे बढ़ चुकी हैं।