वह अच्छे दिनों का राजा कहलाता था, वो घोड़ों की रेस करवाता, बाजी लगाता उसकी अपनी एक क्रिकेट टीम थी और वह F1 की रेस में भी अपनी कार दौड़वाता था। धन और ऐश्वर्य उसकी कनीजी कहलाती थी उसकी पार्टियों में शराब की नदियां बहती थी और उसके साथ सुंदरिया ऐसे चिपके रहते थी जैसे शहद के साथ मधुमक्खियां चिपकी रहती है। वह जमीन पर ही नहीं हवा और पानी में भी रंगारंग पार्टी करता था।
Vijay mallya अपने मेहमानों को कई देशों का खाना खिलाता और उम्दा मात्रा की शराब परोसता था दुनिया भर की सुंदरिया उसके कैलेंडर पर छपने के लिए तरसती थी उसके कैलेंडर के लॉन्च पार्टी का न्योता रहीसो को दिया जाता था फिर एक दिन पता चला अच्छे दिनों का राजा कंगाल हो गया है वह कर्ज नहीं चुका पा रहा और महाजन उसके पीछे पड़े है. उसके लिए काम करने वाले कर्मचारी सड़कों पर उतर कर वेतन मांग रहे थे और सरकार की पेशानी पर पसीना छलक रहा था पर इतने सब में भी उसकी रहीसी पर कोई कमी नहीं आई वह 60 साल का हुआ तो भी उसके ठाठ देखने लायक थे।
माथे के ऊपर 9000 करोड़ का कर्ज होने के बाद भी उसने अपनी जन्मदिन की पार्टी के लिए स्पेन से सिंगर बुलाए और गोवा के अपने विला में सैकड़ों VIP मेहमानों को रंगारंग पार्टी दी। उसके जन्मदिन की पार्टी की तस्वीरें देखकर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को भी यह कहना पड़ा था कि करोड़ों का कर्जा लेकर जो ऐसी पार्टियां कर रहा हो वह देश की जनता का मजाक बना रहा है. फिर 1 दिन वह लापता हो गया अपना सारा सामान समेट कर उसने कर्ज देने वाले बैंकों को bye bye बोल दिया.
दावा है कि वह देश के वित्त मंत्री को बता कर निकला था कि वह जा रहा है उसके नाम से निकला लुकआउट नोटिस भी उसे नहीं रोक पाया और दिल्ली से लंदन पहुंच कर उसने ऐलान किया कि वह अपने घर आ गया है। ढाई साल से ज्यादा हो चुके हैं इस ठग ऑफ हिंदुस्तान को वापस भारत लाने की हर मुमकिन कोशिश हो रही है लेकिन यह ठग कानून के साथ आंख मिचौली खेल रहा है। बैंकों को कंगाल कर गया विजय विट्ठल मालिया अब खुद को किंग ऑफ बेड टाइम्स कहता है लेकिन ना तो उसके ठाट कम हुए हैं और ना ही उसकी अय्याशी भरी जिंदगी में कोई फर्क पड़ा है.
विजय विट्ठल माल्या खानदानी रईस था हिंदुस्तान में दारू बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी उसे पपौती में मिली थी जिसे उसने और कामयाब बनाया, वह ठग कैसे बना ? और भारतीय बैंकों को चुना लगा कर फरार कैसे हो गया यह समझने के लिए 13 साल पीछे चलना होगा. UB ग्रुप के मालिक विजय माल्या ने 2005 में एयरलाइंस सेक्टर में उतरने का ऐलान किया और अपने बेटे के जन्मदिन पर उसे नई कंपनी का तोहफा दिया। यूबी ग्रुप में उन दिनों की spirit और बीयर से लेकर केमिकल फर्टिलाइजर पेंट न्यूज़पेपर और फिल्मी मैगजीन के व्यवसाय थे।
माल्या (Vijay mallya ) ने प्रीमियम ब्रांड की एयरलाइंस कंपनी बनाई जिसमें यात्रियों को नई तरह का एक्सपीरियंस देने का वादा किया गया विजय माल्या ने 70 हवाई जहाजों का बेड़ा बनाया और पेरिस से इंटरनेशनल शो में एक साथ 50 एयर बेस खरीदने का एलान किया. वह माल्या के अच्छे दिन थे देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी तेज थी और कयास लगाए जा रहे थे कि भारत चीन को भी पीछे छोड़ देगा पहले 2 साल किंगफिशर के बेहतरीन रहे कंपनी ने मुनाफा भी कमाया और 2007 में किंगफिशर एयरलाइंस ने 550 करोड़ में एयर डेक्कन का सौदा कर लिया।
लेकिन माल्या ने इस धंधे में अपना खानदानी पैसा नहीं लगाया था किंगफिशर एयरलाइंस में लगा पैसा कर्ज का था जिसे 17 बैंकों से लिया गया था इस कर्ज पर ब्याज की रकम भी अच्छी खासी थी खुद माल्या किंगफिशर एयरलाइंस से 33 करोड़ 46 लाख रुपए की सालाना सैलरी लेता था कंपनी की दूसरी शाखा खर्ची भी कम नहीं थी. 2008 और 2009 के मंदी में हालात बदलने लगे मुनाफा घाटे में बदल गया और कंपनी कर्जदारो का ब्याज चुकाने में भी नाकाम होने लगी थी. 2008 में तेल के दाम बढ़ने से किंगफिशर को 934 करोड़ का घाटा हुआ इसके लिए कर्ज लिया गया और 2009 आते-आते कर्ज बढ़कर 5665 करोड़ हो गया।
जो ब्याज के साथ 7000 करोड़ को पार कर गया इस ठग ने IDBI बैंक को चूना लगाया उसने किंगफिशर के कर्मचारियों को सैलरी देने और ऑपरेशन जारी रखने के लिए 861 करोड़ रुपए का लोन मांगा कंपनी के खाते में कुछ नहीं बचा था लोन सारे ऐसैट्स से ज्यादा हो चुके थे इसलिए कर्ज लेने के लिए माल्या ने बैंक के अफसरों को 16 करोड़ों रुपए की रिश्वत दी लोन के पैसे मिले तो माल्या ने उसे किंगफिशर में नहीं लगाया बल्कि खोखा कंपनियों की मदद से उसने उस पैसे को यूरोप के कंपनियों में पहुंचा दिया जहां इस पैसे से F1 race कराई गई।
साल 2010 में विजय माल्या राज्यसभा के सदस्य बनकर संसद पहुंच गया उधर किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों ने सैलरी के लिए सड़कों पर उतरना शुरू कर दिया और सरकार के हाथ पैर फूलने लगे किंगफिशर की डूबती नैया से सरकार को अपने ऊपर कि नया डूबती नजर आ रही थी. कंपनी को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर कोशिश हुई प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने एलान किया था की सरकार एवियशन सेक्टर को टूटने नहीं देगी, सरकार और आरबीआई के कहने पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 सरकारी बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए लोन की रिस्ट्रक्चरिंग करी रिस्ट्रक्चरिंग माने तो लोन चुकाने की शर्तें और उसका समय बदला गया.
माल्या ने 4000 करोड़ का बताकर किंगफिशर का ब्रांड गिरवी रखा, किंगफिशर को बचाने की कोई कोशिश काम नहीं आई 2011 में किंगफिशर एयरलाइंस का लाइसेंस रद्द हो गया और कंपनी बंद हो गई तब से कर्ज वसूली की प्रक्रिया चल रही है। विजय माल्या भाग चुका है और बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए सारे कर्ज एनपी में डालने पड़े है कर्ज वसूली का आलम यह है माल्या ने किंगफिशर के जिस ब्रांड को 4000 करोड़ रुपए का बताकर लोन लिया था उससे बैंकों को ₹1 के लिए रिकवरी नहीं हुई. इस ब्रांड की नीलामी के लिए बैंक को ने 330 करोड़ की नीलामी रखी थी लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला.
गोवा में माल्या का किंगफिशर विला तीन बार की नाकाम नीलामी के बाद किसी तरह से 73 करोड में बिक गया गोवा में ही बना किंगफिशर हाउस 5 दौर की नीलामी में भी नहीं बिका है इसे डेढ़ सौ करोड़ का बताकर कर्ज लिया गया था लेकिन नीलामी में खरीददारों के लाले पड़ गए किंगफिशर हाउस की रिजर्व कीमत 5 बार कम हो चुकी है लेकिन कोई खरीददार नहीं मिल रहा है। सरकारी एजेंसियों का दावा है कि इस ठग की 9000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति उसके कब्जे में है लेकिन उन संपत्तियों को नीलाम करने की प्रक्रिया इतनी जटिल है और कानूनी दांवपेच इतने ज्यादा कि बैंकों को कुछ भी मिलता दिख नहीं रहा है।
माल्या पर लुटाए गए कर्ज की कहानी
विजय माल्या की कंपनियों को पहली बार सितंबर 2004 में लोन दिया गया था जब यूपीए की पहली सरकार बनी थी इस लोन की फरवरी 2008 में समीक्षा की गई और 2009 में 8040 करोड़ के लोन को एनपीए में डाला गया। NPA का मतलब होता है नॉन परफॉर्मिंग असेट्स यानी ऐसे लोन जो डूब गए और जिनको वसूला नहीं जा सकता मालिया के खिलाफ दायर चार्जशीट के मुताबिक साल 2009 में उसने IDBI बैंक के अधिकारियों को 16 करोड़ रिश्वत देकर 861 करोड़ का कर्ज लिया.
किंगफिशर एयरलाइंस ने IDBI से लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए जिनको जांचा भी नहीं गया, 861 करोड़ के लोन को माल्या ने फर्जी कंपनियों के जरिए यूरोप के खातों में ट्रांसफर कर दिया. साल 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने माल्या के लोगों को रिस्ट्रक्चर करके सहूलियत दी लेकिन माल्या ने एक पैसा नहीं चुकाया। जिन दिनों किंगफिशर कंपनी के कर्मचारी अपनी सैलरी के लिए सड़क पर थे और बैंकों के अफसर लोन वसूलने के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे उन दिनों भी माल्या पार्टी करने में व्यस्त था.
वह IPL में अपनी टीम को चीयर करता नाइट पार्टीज करता और संसद सत्र के दिनों में सांसद बनकर सत्ता के गलियारों में घूमता हिंदुस्तान के इस ठग का लंदन भाग जाने वाली कहानी थी कोई कम चौंकाने वाली नहीं है। लोन डिफॉल्ट केस में 3 मार्च 2016 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी 1 मार्च 2016 को माल्या संसद भवन में दिखा था माल्या के नाम लुकआउट नोटिस जारी था और सारे एयरपोर्ट सतर्क थे लेकिन 3 मार्च 2016 को तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या एक दिन पहले ही यानी 2 मार्च 2016 को देश छोड़कर जा चुका है।
विजय माल्या ने अपनी महिला मित्र के साथ जेट एयरवेज के लंदन जाने वाली फ्लाइट 9W-122 पकड़ी थी, कहा जाता है कि वह 55 सूटकेस के साथ लंदन गया था. 9000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज लेकर घी पी रहा विजय माल्या लुकआउट नोटिस होने के बाद भी 55 सूटकेस लेकर कैसे लंदन भाग गया यह भी कोई कम हैरानी की बात नहीं है आज तक इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इतना जरूर है की विजय माल्या ने अपने पावरफुल कांटेक्ट के जरिए सिस्टम में वह जुगाड़ बना लिया था जिससे वह लंदन निकल सके।
कैसे बदल गया लुक आउट नोटिस
CBI ब्यूरो आफ इमीग्रेशन को 16 अक्टूबर 2015 को लुकआउट नोटिस जारी किया था ऐसा लुक आउट नोटिस होने पर भी किसी भी इमिग्रेशन काउंटर पर पहुंचते ही पूछताछ और हिरासत हो सकती है लेकिन करीब 1 महीने बाद 24 नवंबर 2015 को इस लुकआउट नोटिस में संशोधन कर दिया गया, नई लुक आउट नोटिस के मुताबिक इमीग्रेशन अधिकारियों को सिर्फ सूचना देनी थी. यानी उन्हें सीबीआई को सिर्फ यह बताना था कि माल्या कहां जा रहा है उस वक्त सीबीआई के डायरेक्टर अनिल सिन्हा थे जो दिसंबर 2016 में रिटायर हुए।
लुक आउट नोटिस में बदलाव के बाद माल्या विदेश आता जाता रहा लंदन भागने से पहले वह दो बार विदेश गया और वापस आया 1 दिसंबर 2015 को वह विदेश गया और 7 दिसंबर 2015 को लौट आया, 23 दिसंबर 2015 को माल्या फिर विदेश गया और 2 फरवरी 2016 को लौट आया लेकिन 2 मार्च 2016 को माल्या देश छोड़कर गया तो आज तक नहीं लौटा. भारत भेजे जाने के डर से Vijay mallya कई तरकीब अपना चुका है वह लंदन में महंगे वकील खरीद कर मुकदमा लड़ रहा है मुकदमा लड़ने के लिए भी वह ब्रिटेन की सरकार से यह कह कर पैसे लेता है।
कि उसकी संपत्ति को जप्त किया गया है और उसे न्याय पाने के हक से उसे बेदखल नहीं किया जा सकता उसने लंदन में भारतीय जेलों की दुर्दशा का बखान भी किया और वहां पर जाने का खतरा जता चुका है लेकिन यह सारी तरकीबें अब बेकार हो चुकी है 10 दिसंबर को मालिया के प्रत्यर्पण पर लंदन की अदालत का फैसला आने वाला है। आपका इसके बारे में क्या मानना है हमें कमेंट करके जरूर बताएं।