भानगढ़ किला (Bhangarh fort) 70 वीं शताब्दी में बनवाया गया था इस किले का निर्माण मानसिंह के छोटे भाई राजा माधव सिंह ने करवाया था राजा माधव सिंह उस समय अकबर की सेना में जनरल पद पर तैनात थे उस समय भानगढ़ की जनसंख्या लगभग 10,000 थी। भानगढ़ अलवर जिले में स्थित एक शानदार किला है जो की बहुत ही विशाल आकार में तैयार किया गया है।
तीन तरफ से पहाड़ों से घिरे इस किले में बेहतरीन शिल्प कलाओं का प्रयोग किया गया है इसके अलावा इस किले में भगवान शिव और हनुमान की बेहतरीन और अति प्राचीन मंदिर स्थित है। इस किले में कुल 5 द्वार हैं और साथ ही साथ एक मुख्य द्वार भी है इस किले के निर्माण में इस्तेमाल किए गए मजबूत पत्थर प्राचीन काल से आज भी अपनी यथावत स्थिति में पड़े हुए है।
भानगढ़ किला जो दिखने में जितना शानदार है उसका अतीत उतना ही भयानक है आपको बता दें कि भानगढ़ किले के बारे में प्रसिद्ध एक कहानी के अनुसार भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती जोकि अपने नाम के अनुसार ही बहुत ज्यादा खूबसूरत थी। उस समय उनके रूप की चर्चा पूरे राज्य में थी और साथ में देश के कोने कोने के राजकुमार उनसे विवाह करने के इच्छुक थे.
उस समय उनकी उम्र महज 18 वर्ष ही थी उनका योवन उनके रूप में निखार ला चुका था कई राज्यों से उनके लिए विवाह के प्रस्ताव आ रहे थे इसी दौरान वह एक बार अपनी सखियों के साथ बाजार निकली, राजकुमारी रत्नावती अपनी सखियों के साथ एक इत्र की दुकान पर पहुंची और वह इत्रों को अपने हाथ में लेकर उनकी खुशबू ले रही थी उसी समय उस दुकान से कुछ ही दूर एक व्यक्ति खड़ा होकर उसे बहुत ही देर से घूर रहा था वह आदमी उसी राज्य में रहता था।
वह आदमी काले जादू का महारथी था ऐसा बताया जाता है कि वह राजकुमारी के रूप का दीवाना था और उनसे बेहद ही प्रेम करता था वह किसी भी तरह से राजकुमारी को हासिल करना चाहता था इसलिए उसने उस दुकान पर आकर एक इत्र की बोतल जिसे की रानी पसंद कर रही थी उसने उस बोतल पर काला जादू कर दिया जो राजकुमारी के वशीकरण के लिए था। जादू ऐसा था कि जो भी उस इत्र को लगाएगा वह तांत्रिक के प्यार में सम्मोहित होकर उसके पास खींचा चला जाएगा.
राजकुमारी को बोतल मिली तो सही पर वह एक बड़े पत्थर के ऊपर गिरकर टूट गई अब वह पत्थर तांत्रिक के प्यार में सम्मोहित होकर उसकी तरफ बढ़ा तांत्रिक को लगा की रानी रत्नावती आई है तो उसने उसको सीधे अपनी छाती के ऊपर बैठने को कहा फिर वह बड़ा पत्थर जाकर सीधा तांत्रिक की छाती के ऊपर गिरा और उसको कुचल दिया लेकिन मरने से पहले उसने भानगढ़ की बर्बादी का श्राप दे दिया था।
फिर कुछ वक्त के बाद एक युद्ध हुआ जिसमें भानगढ़ तबाह हो गया और यहां रहने वाले लगभग 10000 लोग मारे गए रानी रत्नावती भी तांत्रिक के श्राप से नहीं बच सकी और उनकी भी मौत हो गई हो गई, एक ही किले में एक साथ इतने बड़े कत्लेआम के बाद वहां मौत की चीखें गूंज उठी, आज भी उस किले में उनकी आत्माएं भटकती है।
एक और कहानी के अनुसार यहां एक साधु रहते थे और महल के निर्माण के वक्त उन्होंने चेतावनी दी थी कि महल की ऊंचाई कम रखी जाए ताकि परछाई इनके पास तक ना पहुंचे लेकिन महल बनाने वालों ने इस बात का ध्यान नहीं रखा और अपनी मर्जी से महल को बनाया और महल की परछाई उस साधु की कुटिया तक पहुंचने लगी. साधू ने गुस्से में श्राप दे दिया कि भानगढ़ तबाह हो जाएं.
एक तीसरी कहानी के अनुसार 1720 में भानगढ़ इसलिए उजड़ने लगा था क्योंकि यहां पर पानी की कमी थी 1783 में अकाल पड़ा जिसने यहां की आबादी को खत्म कर दिया और इससे भानगढ़ पूरी तरह से उजड़ गया फिलहाल इस किले की देखरेख भारत सरकार के द्वारा की जाती है इस किले के चारों और कुछ सर्वे के लिए भारत की टीम मौजूद रहती है। सरकार ने सख्त हिदायत दे रखी है कि सूर्यास्त के बाद इस इलाके में किसी भी व्यक्ति के लिए रुकना मना है।
भानगढ़ के किले में जो भी सूर्यास्त के बाद गया है वह कभी वापस नहीं आया कई बार लोगों को रुहो ने परेशान किया है और कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है इस किले में मारे गए लोगों की आत्माएं अब भी वही भटकती है कई बार इस समस्या से रूबरू भी हुआ गया है। एक बार भारतीय सरकार ने अर्थ बल सैनिकों की एक टुकड़ी यहां लगाई थी ताकि इस बात की सच्चाई को जाना जा सके लेकिन वह भी असफल रही.
कई सैनिकों ने रूहो के इलाके में होने की पुष्टि करी थी इस किले में जब भी आप अकेले होंगे तो आप तलवारों की आवाज और लोगों की चीखो को महसूस कर सकते हैं इसके अलावा इस किले के भीतर महिलाओं के रोने की और उनकी चूड़ी खनक ने की आवाज सुनाई देती है। किले के पिछले हिस्से में जहां की एक छोटा सा दरवाजा है उस दरवाजे के पास बहुत ही अंधेरा रहता है।
कई बार वहां पर किसी के बात करने की और एक विशेष प्रकार की गंध को महसूस किया गया जो की अजीबो-गरीब है किले में शाम के वक्त बहुत ही सन्नाटा रहता है अचानक ही किसी के चीखने की भयानक आवाज दिल्ली में गूंज उठती है क्या भानगढ़ सच में भूतिया है ? यह वह सवाल है जिसका सही जवाब किसी के पास नहीं है मानने वाले मानते हैं और जो नहीं मानते वह इसे कल्पना बोलते हैं सच्चाई चाहे जो भी हो भानगढ़ को गूगल के ऊपर काफी सर्च किया जाता है और बड़ी तादाद में लोग यहां घूमने आते हैं आपका इसके बारे में क्या मानना है हमें कमेंट करके जरूर बताएं।