Interesting Hindi Facts: क्या आपको पता है जापान में एक skydrive नाम की कंपनी है जो कि वास्तव में एक उड़ने वाली कार को टेस्ट कर चुकी है जिस कार का नाम है SD-03. यह दुनिया की सबसे हल्की Flying Car है और इस कार के अंदर 8 इंजन लगे हुए हैं अगर उड़ान के दौरान एक इंजन फेल भी हो गया तो बाकी के 7 इंजन है। तो इतने सारे इंजन है बैकअप के लिए भारत के गुजरात में PAL-V (Personal Air And Land Vechicle) जो कि एक डच कंपनी है.
वह गुजरात के अंदर प्रोडक्शन शुरू करने वाली है Liberty Car का निश्चित किस समय इस कार का निर्माण होगा इसकी घोषणा होने में अभी समय हैं। यह दोनों दुनिया के सबसे प्रसिद्ध Flying Cars के उदाहरण थे लेकिन सबसे मुख्य बात यह है की दुनिया में अभी के समय में Flying Car यानी कि उड़ने वाली कार संभव हो चुकी है. अब इस दुनिया में ऐसी टेक्नोलॉजी आ चुकी है जिनकी मदद से Flying Cars बन सकते हैं। एक गाड़ी एक जगह से उड़कर दूसरी जगह यात्रा करें यह बिल्कुल 100% संभव हो चुका है और अब यह एक सपना नहीं रहा.
कंपनी चाहे तो बड़े पैमाने पर Flying Cars को बना सकती है लेकिन जब उड़ने वाली कार संभव है तो फिर यह बाजारों में आ क्यों नहीं रही है? पहली बात तो यह है कि अगर उड़ने वाली कार आई भी तो इंजीनियर उसमें फ्यूल डालेंगे तो वह पोलूशन बहुत ही ज्यादा करेगा क्योंकि कार को हवा में स्थिर रखने के लिए बहुत ताकत चाहिए इसलिए फ्लाइंग कार को इलेक्ट्रिक होना होगा जो की है और दुनिया में जितने भी उड़ने वाली कारें बनी है वह केवल 30 मिनट तक ही चलती है और चार्ज होने में वह कई घंटों ले लेती है और चलता बस 25 से 30 मिनट है.
इसलिए यह इतना ज्यादा उपयोगी नहीं है और दूसरी बात जब उड़ने वाली कार उड़ेंगे तो उनका एकदम अलग से लाइसेंस लगेगा इसके लिए एक अलग से Mini Pilot License लगेगा और इसके लिए अलग से एयर ट्रेफिक कंट्रोल करना होगा और इसका सबसे बड़ा मुख्य कारण रहेगा इसकी कीमत. एक उड़ने वाली कार की कीमत भारत में अगर आई तो वह 1 करोड़ से कम नहीं होगी. यानी कि टेक्नोलॉजी होते हुए भी मार्केट में Flying Cars नहीं आ रही और बहुत दिनों तक नहीं आएंगी क्योंकि इसमें किसी का फायदा नहीं है. यदि भविष्य में जाकर अगर लोग इसकी डिमांड करें और जब जनता इसके ऊपर पैसा खर्च करने को तैयार हो तब जाकर कहीं कुछ आने के चांस बन सकते हैं।