आखिर ROLEX (रोलेक्स) की घड़ियां इतनी महंगी क्यों होती है – Facts in Hindi

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दोस्तों ROLEX (रोलेक्स) एक ऐसा ब्रांड है जो कि अपनी शानदार लग्जरी और महंगी घड़ियों के लिए जानी जाती है और इसी वजह से शुरू से ही यह लोगों के स्टेटस का प्रतीक बन गई है और जैसे जैसे लोगों के पास पैसे आ रहे हैं इसकी लोकप्रियता भी काफी तेजी से बढ़ती जा रही है।
हालांकि इसके महंगे होने के कुछ उचित वजह भी है जैसे कि ROLEX (रोलेक्स) की घड़ियां हर परिस्थितियों में चाहे कि समुंदर के 100 फिट अंदर या फिर एवरेस्ट जैसी ऊंचे पहाड़ों पर भी अपनी सटीक समय दर्शाने के लिए जानी जाती हैं और दोस्तों घड़ियों में यह एकमात्र ऐसा ब्रांड है जिसे कि लोग इसे अपने हाथों से बनाते हैं।
मतलब कि रोलेक्स की हर एक घड़ी कारीगरों के अपने हाथों द्वारा बनाई गई होती है और यही वजह है कि इतनी बड़ी कंपनी हर रोज सिर्फ 2000 घड़िया ही बना पाती है। अब हम इसके इतिहास को भी जान लेते हैं जिससे कि हम इस घड़ी के बारे में अच्छे से समझ पाएंगे.

ROLEX interesting facts

इस कहानी की शुरुआत होती है 1881 से जब जर्मनी के एक छोटे से कस्बे में Hans Wilsdorf का जन्म हुआ हालांकि 12 साल की उम्र में अपने माता पिता को खो देने के बाद वह अनाथ हो गए और कैसे भी करके सरकारी स्कूल से उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई करी और जब वह 19 साल के थे तब उन्होंने पहली बार घड़ियों की दुनिया में कदम रखा दरअसल पैसों की किल्लत की वजह से विल्सडॉर्फ के दोस्त ने उन्हें अपने पिता की एक घड़ी एक्सपोर्ट करने वाली कंपनी में नौकरी दिलवा दी.
फिर आगे चलकर 1903 में लंदन की एक घड़ी बनाने वाली कंपनी में काम करते हुए विल्स डोर घड़ी बनाने की बारीकियों को भी सीख चुके थे और अब बारी थी अपने लिए कुछ बड़ा करने की और इसीलिए उन्होंने अपने जीजा की आर्थिक मदद से 1905 में Wilsdorf And Davis कंपनी की शुरुआत करी कंपनी शुरू करने के बाद पहले तो उन्होंने बाहर के देशों से घड़ियां एक्सपोर्ट करना शुरू किया लेकिन जैसे-जैसे बिजनेस बढ़ा तो वह आगे चलकर खुद की घड़ियां बनाने लगे और इसी कंपनी को 1908 में Rolex के नाम से रजिस्टर्ड किया गया.
साथ ही इसी साल इन्होंने स्विट्जरलैंड में भी अपनी एक ऑफिस खोल ली हालांकि 1919 में इंग्लैंड सरकार द्वारा बहुत ही ज्यादा टैक्स बढ़ाने की वजह से विल्स डोर्स को अपना लंदन वाला ऑफिस बंद करना पड़ा लेकिन उन्होंने जिनेवा स्विजरलैंड में अपना काम जारी रखा और यहीं पर आज भी रोलेक्स का हेड क्वार्टर है रोलेक्स ने धीरे-धीरे मार्केट पर अपनी पकड़ बनानी शुरू करी और 1926 में विल्स ने अपनी पहली वाटर प्रूफ घड़ी बनाई.
दरअसल विल्स हमेशा से ही ऐसी घड़ी बनाना चाहते थे जो कि बाहरी वातावरण से कभी भी अफेक्टेड ना हो और आगे भी समय के साथ-साथ रोलेक्स की घड़ियों को अपग्रेड किया गया जैसे कि 1945 में रोलेक्स ने अपनी घड़ियों में तारीख दिखाने का नया फीचर जोड़ दिया और फिर अपनी घड़ियों की बेस्ट क्वालिटी के लिए वह हर घड़ी के साथ कई सारे टेस्ट करवाने लगे जैसे कि हाई प्रेशर वॉटर टेस्ट हाई एल्टीट्यूड टेस्ट और इसी तरह के बहुत सारे और जब इन मानको पर रोलेक्स की घड़ियां खरी उतरती तो इन्हें आगे भेजा जाता है।
1953 में माउंट एवरेस्ट को पहली बार फतेह करने वाले एडमंड हिलेरी ने रोलेक्स की घड़ी पहनकर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करी और इतने हाई एल्टीट्यूटस होने के बावजूद भी इस घड़ी के समय में 1 सेकंड का भी अंतर नहीं आया और इसी तरह से रोलेक्स की घड़ी को 1960 में भी समुंदर के 100 फीट अंदर पनडुब्बी की मदद से भेजा गया वहां पर पानी का इतना प्रेशर होने के बाद भी घड़ी पूरे सही तरीके से काम कर रही थी और इन सभी बातों से आप अंदाजा लगा ही सकते हैं।
की पहाड़ की ऊंचाई हो या फिर समुंदर की गहराई हर जगह पर रोलेक्स की घड़ियां सटीक काम करती हैं और यही फीचर रोलेक्स की सबसे बड़ी ताकत भी है और रोलेक्स ने पहली बार 2008 में भारत में कदम रखा और यहां के भी पैसे वाले लोगों के लिए यह पहली पसंद है इन घड़ियों की कीमत ₹200000 से शुरू होकर करोड़ों रुपए तक जाती हैं लेकिन जो गाड़ियों के शौकीन हैं और उनके पास पैसे भी पर्याप्त हैं वह इस ब्रांड की घड़ी को खरीदना जरूर पसंद करेंगे.
2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार से Rolex की ब्रांड वैल्यू 8 बिलीयन डॉलर्स है तो दोस्तों यह थे रोलेक्स की घड़ियों के कुछ interesting facts और motivational history उम्मीद है कि यह आपको जरूर पसंद आई होगी आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको आज की इस जानकारी में कौन सी सबसे अच्छी बात लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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